Wednesday, February 16, 2011

बगावत

एह शमा जली है कहीं ,
भड़की कहीं एक चिंगारी है ,
कुछ सरगर्मी सी है नुमाया ,
एक बड़ी आग कि तैयारी है |

कुछ होसले है बुलंद ,
कुछ आवाज़ों में बेकरारी है,
एक जूनून सा सरमाया है
कोई फैसला सुनाने कि तैयारी है |

खुल गयी कुछ ऑंखें है ,
 ख़त्म हुई सी खुमारी है ,
हर कोने में छुपा कोई साया है ,
एक बड़े उजाले कि तैयारी है |

बिखरे पड़े है पत्ते हर जगह ,
अब फूंक मारने कि बारी है,
खौफ कुछ चेहरों पर नज़र आया है ,
एक बगावत कि जो तैयारी है | 
                         -ताबिश 'शोहदा' जावेद