Wednesday, March 24, 2010

अजीब ख्वाब

ज़िन्दगी कि दौड़ में,
पेशेवर आगे निकल गए,
हम तकदीर को रोते रहे ,
वो  तदबीर सहारे निकल गए

साथियों के जमावड़े में,
तन्हा ही रह गए, 
तरक्की पर खुश होते रहे ,
असल में ,सब आगे निकल गए. 

सपनो कि फेहरिस्त में ,
ऐसा ख्वाब बुन गए ,
बरसो से सोते रहे ,
आज एक ख्वाब सहारे उठ गए . 
                     - ताबिश 'शोहदा'  जावेद


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